हज़रत याकूब और हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम Part 1 | Hazrat Yaqoob Or Hazrat Yusuf A.S.

हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम (hazrat yaqoob) इस्लाम के मशहूर नबियो (पैगंबर) में से एक हैं। याकूब अलैहिस्सलाम (hazrat yaqoob) इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पोते हैं और हज़रत इसहाक अलैहिस्सलाम के पुत्र हैं। याकूब अलैहिस्सलाम (hazrat yaqoob) के 12 बेटे थे, इन बेटों में से एक हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Joseph) हैं, जो याकूब अलैहिस्सलाम (hazrat yaqoob) के पसंदीदा बेटे थे।

हज़रत याकूब और हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम

Hazrat Yaqoob Or Hazrat Yusuf A.S.

हज़रत युसूफ़ अलैहिस्सलाम का क़िस्सा अजीब व ग़रीब है जिसके सुनने से दिलों में नेक कामों की मुहब्बत और परहेज़गारी और पाकबाज़ी से लज़्ज़त हासिल होती है।
अल्लाह तआला ने इसे अहसनुल क़सस ( सबसे अच्छा क़िस्सा) फ़रमाया है।
हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) अलैहिस्सलाम के बाप, दादा, परदादा सभी पैग़म्बर थे जिनकी शान में रसूलल्लाह ने फ़रमाया है :-
'करीम इब्ने करीम, इब्ने करीम !
(करीम, करीम का बेटा, करीम का बेटा)
हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) ऐसे साहबज़ादे थे जिन्हें ख़ुदा ने रूहानी और अख़लाक़ी हुस्न के साथ ज़ाहिरी हुस्न भी ऐसा बख़्शा था कि निगाहें बेइख़्तियार आपकी तरफ़ खिंचती थीं।
एक रिवायत में आता है कि अल्लाह ने हुस्न के दस हिस्से किए। नौ हिस्से हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को मिले और एक हिस्से में से तमाम दुनिया को दिया गया।



एक बार हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) सोकर उठे तो चेहरा सूरज की तरह चमक रहा था और दिल सीमाब (पारा) की तरह तड़पता था। हज़रत याकूब (hazrat yaqoob) ने पूछा, "बेटा तेरा क्या हाल है ?"
फ़रमाया, “अब्बा मैंने एक अजीब ख़्वाब देखा है कि मैं एक पहाड़ पर हूँ जिसके गिर्द पानी रवां है, सब्ज़ा उगा हुआ है, फूल खिले हुए हैं। गोया हसीन बाग़ है। अचानक ग्यारह सितारे और चांद और सूरज आसमान से उतरे और मुझको सज्दा किया।

हज़रत याक़ूब (hazrat yaqoob) ने समझा कि पहाड़ असल में बेटे की बुलंद क़िस्मत है और बहता चश्मा और सब्ज़ा और बाग़ ख़ुशबख़्ती की निशानी है और सूरज चांद और ग्यारह सितारे इसके मां-बाप और ग्यारह भाई हैं जो इसके आगे झुकेंगे और इसके फ़रमांबरदार होंगे। हज़रत याक़ूब (hazrat yaqoob) को अंदेशा हुआ कि कहीं हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के भाई उससे हसद न करें, इसलिए फ़रमाया कि अपना ख़्वाब भाइयों से बयान न करना, लेकिन भाइयों को यूसुफ़ का हाल मालूम हो गया। वे हसद की वजह से यूसुफ़ के दुश्मन हो गए और उन्हें नुक्सान पहुँचाने का इरादा कर लिया।

वे रोईल के पास आए जो सबमें समझदार था और कहा कि यूसुफ़ झूठे ख़्वाब बनाकर बाप को सुनाता है और इस तरह बाप का दिल अपनी तरफ़ मायल करता है।
रोईल न कहा-
“ऐसी मनमोहनी सूरत झूठ बोले यह मुम्किन नहीं। क्या अजब कि उसके इक़बाल का सितारा ज़ाहिर हो और ग़ैब के परदे से उसकी ख़ुदाबख़्ती नुमायां हो।"

सब भाई रोईल की बात से और यूसुफ़ के ख़्वाब से फ़िक्र में पड़ गए और हसद की आग उनके दिल में भड़क उठी। जब वे देखते कि बाप यूसुफ़ पर बहुत ज़्यादा मेहरबान हैं तो भाइयों की बेक़रारी और बेचैनी और बढ़ जाती ।
आख़िर में उन्होंने तय कर लिया कि यूसुफ़ को क़त्ल करके इस क़िस्से को पाक कर देना चाहिए। आपस में राय-मश्विरा करके बाप की ख़िदमत में पहुँचे और कहा-
“ऐ अब्बाजान ! यह क्या हो गया है कि आप यूसुफ़ को हमारे साथ सैर और शिकार के लिए नहीं भेजते । इजाज़त दीजिए कि एक रोज़ वह हमारे साथ जंगल में शिकार को जाए और अपना दिल बहलाए।

हज़रत याकूब (hazrat yaqoob) ने फ़रमाया-
"इस बेटे से मेरा दिली लगाव है। इसकी जुदाई मुझे पसंद नहीं। कहीं ऐसा न हो कि तुम ग़ाफ़िल हो जाओ और भेड़िया उसे खा जाए।"
बेटों ने कहा, 'यह कैसे मुम्किन है कि हम सबकी मौजूदगी में यूसुफ़ को कोई नुक़सान या तकलीफ़ पहुँचे ।'
बाप हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को भेजने पर तैयार न हुए। भाई ना उम्मीद हो गए। शैतान ने उनके दिल में डाला कि पहले यूसुफ़ को राज़ी कर लो तब बाप के पास जाओ।

बहार का मौसम था, भाइयों ने यूसुफ़ को साथ ले जाने पर राज़ी कर लिया और यूसुफ़ को लेकर बाप के पास पहुँचे और इजाज़त चाही। जब हज़रत याक़ूब (hazrat yaqoob) ने देखा कि यूसुफ़ ख़ुद जाना चाहते हैं तो मजबूर होकर जाने की इजाज़त दे दी, और यहूदा से फ़रमाया-
'मैं यूसुफ़ को तुम्हें सौंपता हूँ, पूरी निगरानी रखना और उसे किसी तरह की तकलीफ़ न पहुँचाना।”
हज़रत याकूब ने यूसुफ़ को छाती से लगाया और फ़रमाया-
“ऐ प्यारे बेटे, अगर जुदाई का ज़माना लम्बा हो जाए तो अपने बाप को मत भूलना, इसलिए कि वह जब तक तुझे न देखेगा हरगिज़ न हंसेगा।"

आज़माइश का दौर

नवादुरुल-क़सस में लिखा है कि जब हज़रत याकूब यूसुफ़ से चन्द क़दम दूर हुए तो आप पर ग़शी तारी हो गयी। हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को फिर सीने से लगाया और आह भर कर फ़रमाया, 'मुझे जुदाई की बू आ रही है।'
हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के भाई हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को अपने साथ लेकर चले। जब तक वह हज़रत याकूब (hazrat yaqoob) की निगाहों के सामने थे तब तक वह हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के साथ मुहब्बत और इज़्ज़त से पेश आते रहे। जब बाप की निगाह से दूर हो तो हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को सताना शुरू किया। कभी तमाचों से मारते और कभी निहायत ज़िल्लत से अपने आगे दौड़ाते ।

हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) का गुलाब-सा चेहरा गर्मी से पसीना-पसीना हो गया और प्यास की वजह से गला सूख गया, बड़ी आजिज़ी और मिन्नत से भाइयों से पानी मांगा लेकिन उन्होंने पानी न दिया, खाना मांगा तो बोले भी नहीं। एक
ने कहा, 'सितारे कहां हैं जो तेरी ख़िदमत में हाज़िर थे? उनसे मदद क्यों नहीं मांगते ।'
हज़रत याकूब (hazrat yaqoob) ने एक आफ़ताबे में पानी भर कर हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के लिए दिया था। शमऊन ने पानी ज़मीन पर बहा दिया और कहा कि प्यास से क्या रोता है। अब तो हम तुझ से बदला लेंगे और तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे।

हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) ने क़त्ल की बात सुनी तो डर गए और ख़ुदा से दुआ की :
“ऐ फ़रियादी की फ़रियाद सुनने वाले ! मेरी मजबूरी और लाचारी पर रहम कर और मुझे इस मुसीबत से निकाल।" फिर रोईल से कहा, “ऐ मेरे भाई, तू और भाइयों से बढ़कर मुझसे मुहब्बत करता था और मेरे साथ मेहरबानी से पेश आता था। मुझे एक चुल्लू पानी पीने को देदे ताकि मेरी प्यास की आग बुझ सके।"
उसने पानी के बदले कड़वा जवाब दिया। फिर यहूदा के दामन पर हाथ मार कर कहा -
'बाप ने मुझे तुझे सौंपा था। तू ही बता कि मेरा क्या कुसूर है।'

यहूदा को यूसुफ़ की परेशानी देखकर रहम आया और भाइयों को सताने से रोका और यूसुफ़ से कहा, 'जब तक मैं जिंदा हूँ कोई तेरी जान नहीं ले सकता ।'
भाइयों ने जब यहूदा को बदलते हुए देखा तो कहा :
'तुम यूसुफ़ के मामले में क्या सलाह देते हो ?'
यहूदा ने कहा, 'मैं यूसुफ़ के क़त्ल से राज़ी नहीं हूँ। बेगुनाह को क़त्ल करना बड़ा गुनाह है। बेहतर तो यह है कि लौट चलो और बाप की अमानत बाप को सौंप दो।'
भाइयों ने कहा, 'अगर बाप के पास ले जायेंगे तो वह हमारे ज़ुल्म बाप से बयान कर देगा।'
फिर यहूदा ने सोच कर कहा, 'इसे हुँए में डाल दो। वहाँ या तो यह मर जाएगा या फिर कोई इसे निकाल कर दूसरे मुल्क में ले जाएगा।

सबको यह बात पसंद आई। कनआन से तीन फ़र्लांग पर एक कुआँ था। हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को उस हुँ कुएं पर ले गये। जब कुएं में डालने का इरादा किया तो हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) ने कहा-
'आप लोग हमारे बड़े भाई हैं और मैं छोटा हूँ...
भाइयों को हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) पर बिल्कुल रहम न आया। कमीज़ उतार ली और हाथ-पावं रस्सी से बांध कर इस चांद से भाई को अंधेरे कुएं में लटकाया।

अभी कुएं में आधी दूर तक ही यूसुफ़ पहुँचे होंगे कि रस्सी काट दी। हज़रत जिब्रील ख़ुदा के हुक्म से कुएं में पहुँचे और यह खुश-ख़बरी दी-
"ग़म न कर, तेरा ग़म ख़ुशी में बदल जाएगा। यह बला की काली रात ढल जाएगी। ख़ुदा तुझे तख़्ते सल्तनत पर बिठाएगा। और तेरे भाई तेरे सामने मजबूरी की हालत में खड़े होंगे और तू उनकी ख़ताएं उन्हें याद दिलाएगा और ये अपनी ख़ताओं का इक़रार करेंगे।"
जब यूसुफ़ के भाई हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को कुएं में डाल कर फ़ारिग़ हुए तो एक बकरी के बच्चे को ज़िब्ह किया और हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के कुर्ते को उसके ख़ून में डुबो लिया। शाम को रोते-पीटते घर पहुँचे। उधर हज़रत याकूब को बेटे का सख़्त इन्तिज़ार था ।
बेटों ने यह ख़बर सुनायी कि हम तो यूसुफ़ को सामान के पास छोड़ कर आगे गए थे, उसको भेड़िया खा गया ।

हज़रत याक़ूब (hazrat yaqoob) यह सुनकर रंज के मारे बेहोश हो गए।
होश में आने पर रोईल ने आगे आकर कहा
'ऐ मेरे मुहतरम बाप, ख़ुदा तुझे यूसुफ़ की तरफ़ से सब्रे-जमील दे ।'
हज़रत याकूब (hazrat yaqoob) ने बेटे का कुर्ता तलब किया और उसे देखकर फ़रमाया
'अजीब- ग़रीब भेड़िया था। बेटे को तो खा गया और उसके लिबास को चीरा तक नहीं।' और फ़रमाया-
'फ़सब्रुन जमील वल्लाहुल मुस्तआनु अलामा तसिफ़ून'.
अब सब्रे-जमील है और जो कुछ तुम कह रहे हो उस पर ख़ुदा ही मददगार है।

उधर इत्तफ़ाक़ से सौदागरों का एक क़ाफ़िला मदयन से मिस्र को जा रहा था जो रास्ता भूल कर जंगल में भटक गया था। कुएं पर पहुँचे जिसमें हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) डाले गए थे तो क़ाफ़िले के सरदार ने कहा कि आज यहीं क़ियाम करो ।
सुबह सरदार ने अपने दो गुलामों को कुएं पर पानी लाने के लिए भेजा।
जब डोल कुएं में पहुँचा तो हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) ने समझा कि मेरे भाई मुझको कुएं से निकालना चाहते हैं। कुएं में उन्हें तीन दिन-रात गुज़र चुके थे।

हज़रत जिब्रील नाज़िल हुए और कहा :
'ऐ यूसुफ़, इस डोल में बैठ जा।' हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) इस डोल में बैठ गए।
जब गुलाम ने डोल खींचा और डोल में हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को देखा तो वह बेइख़्तियार ख़ुशी से पुकार उठा-
'या बुशरा हाज़ा गुलाम'. (अहा ! यह तो लड़का है।)

हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के भाइयों ने एक शख़्स को इस काम के लिए मुक़र्रर किया था कि अगर कोई यूसुफ़ को निकाले तो हमें ख़बर करना। जब जासूस ने भाइयों को इसकी ख़बर की तो वे फ़ौरन क़ाफ़िले वालों से मिले और कहा
"कुछ रोज़ से यह हमारा गुलाम भागा हुआ था। हम ख़ुद इसकी तलाश में हैं ।'
सौदागरों ने कहा, 'वाह वाह, यह लड़का तो शराफ़त का पुतला मालूम होता है। यह कैसे मुम्किन है कि हम इसे भागा हुआ गुलाम समझें ।'
भाइयों ने कहा, 'यह गुलाम है। पैग़म्बरी ख़ानदान में परवरिश पाई है,
लेकिन चन्द रोज़ से बेवफ़ाई इख़्तियार करके भाग निकला है।'

भाइयों ने सौदागरों से कहा :
'इस गुलाम को हम इस ऐब की वजह से बेचना चाहते हैं। अगर ख़रीदना चाहो तो ख़रीद लो, वरना हमारे हवाले कर दो।'
सौदागरों ने हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के चुप रहने से यह समझा कि यह वाक़ई गुलाम है।

हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) से पूछा तो उन्होंने फ़रमाया-
“मैं गुलाम हूँ और ग़ुलाम का बेटा।"
सौदागरों ने कुछ थोड़ा दिरहम देकर हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को भाइयों से ख़रीद लिया ।
फिर सौदागरों ने उनको ऊंट पर बिठा कर मिस्र को रास्ता लिया। जब मिस्र के नज़दीक पहुँचे और एक चश्मे पर उतरे तो हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) ने नहाया और उन्हें क़ाफ़िले वालों ने नया कपड़ा पहनाया तो हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) की ख़ूबसूरती को देखकर वे हैरान रह गये।
हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को अल्लाह ने ऐसा हुस्न अता फ़रमाया था कि वह जिस तरफ़ रुख करते वहाँ मालूम होता कि सूरज निकल आया है। क़ाफ़िला मिस्र पहुँचा भी न था कि हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) के हुस्न और ख़ूबसूरती की धूम मच गई। शहर के लोग देखने निकले।

मिस्र के बादशाह ने भी वज़ीर को, जिसे अज़ीज़े-मिस्र कहते थे, रवाना किया। वज़ीर वहाँ पहुँचा और हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को क़ाफ़िले से ख़रीद लिया ।
अज़ीज़े मिस्र हज़रत यूसुफ़ ( hazrat yusuf ) को घर ले गया और अपनी बीवी, जिसका नाम जुलैखा बताया जाता है, कहा-
'इसको निहायत इज्जत और आराम से रखो। हम इसे अपना बेटा बनायेंगे।'
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हज़रत याकूब और हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम Part 1 | Hazrat Yaqoob Or Hazrat Yusuf A.S., yusuf, hamza yusuf, yusuf islam, surah yusuf, sami yusuf, yusuf estes, yusuf corker, yusuf kama, yusuf shah, yusuf mosque, yusuf demir, yusuf al qaradawi, prophet yusuf, yusuf al-qaradawi, yusuf pathan, sami yusuf hasbi robbi, yusuf azeem is not a hero, yusuf çim, samy yusuf hasbi rabbi, yusuf yazıcı, noof yusuf, abdullah yusuf ali, mohammed yusuf, yusuf deedat, zh yusuf, marilyn yusufhy yusuf, yusuf soetoro, shiekh yusuf estes, abdilaahi yusuf, yusuf gatewood movies and tv shows, yusuf yazici, yusuf corker nfl draft, muxamat yusuf, dr yusuf orhan ucal, yusuf killing eve, yusuf khan (actor), panseri yusuf, muxammat yusuf, yusuf/cat stevens twitter, yusuf prophet, yusuf mehdi, yusuf akgün, ebyan yusuf, hajjaj ibn yusuf, yusuf khan, yusuf and zulaykha, safinatu yusuf, mohammad yusuf ibrahim, sami yusuf allaho, yusuf reis, sami yusuf alahu, yusuf ibn tashfin, yusuf ali, mehran yusuf, yusuf islam moon shaddow, sami yusuf el muallim, story of prophet yusuf, prophet yusuf story, prophet yusuf movie, prophet yusuf beauty, the story of prophet yusuf, prophet yusuf father, prophet yusuf family tree, hazrat yusuf, hazrat yusuf alaihis salam, hazrat yusuf ka kissa, hazrat yusuf story in hindi, hazrat yusuf alaihis salam ka waqia in hindi, hazrat yusuf ke bete ka naam, hazrat yusuf family tree, hazrat yusuf alaihis salam ki biwi ka naam, hazrat yusuf alaihis salam story in hindi, hazrat yusuf father name, hazrat yusuf ki kahani, hazrat yusuf story, hazrat yusuf wife name, hazrat yusuf alaihis salam ka kissa, हजरत यूसुफ का पहला भाग, हजरत यूसुफ, हजरत यूसुफ का तीसरा भाग, हजरत यूसुफ अली सलाम का किस्सा हिंदी में, हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम, हजरत यूसुफ अली सलाम, हजरत यूसुफ का किस्सा, हजरत यूसुफ अली सलाम का किस्सा, हजरत यूसुफ अली सलाम का वाकया, हजरत यूसुफ कौन थे, हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम का वाकया, prophet yaqoob sons, prophet yaqoob, hazrat yaqoob family tree, hazrat yaqoob sons name, hazrat yaqoob, hazrat yaqoob alaihis salam, hazrat yaqoob father name, hazrat yaqoob story, hazrat yaqoob ke kitne bete the, hazrat yaqoob alaihis salam ke bete ka naam, hazrat yaqoob story in hindi, hazrat yaqoob k walid ka naam, hazrat yaqoob or hazrat yusuf ka waqia, hazrat yusuf in hindi, hazrat yaqoob in hindi



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