Hazrat Ayub Alaihis Salam - हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम की मां हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की बेटी थीं और उनकी बीवी फ़राहीम बिन यूसुफ़ की बेटी थीं। उनका नाम रहमत था।
हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam को अल्लाह ने ख़ुशहाली बख़्शी थी। वह काफ़ी माल-व-दौलत रखते थे। हज़ारों ऊंट और हज़ारों बकरियां और बहुत से गुलाम उनकी मिल्कियत में थे। ख़ुदा ने उन्हें सात बेटे और सात बेटियां अता की थीं। वे हमेशा ख़ुदा के शुक्रगुज़ार रहते और नमाजें पढ़ते। ख़ुदा ने हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam को पैग़म्बरी अता की। वह बंदगी और ख़ैरात करने में आगे-आगे रहते थे। शैतान की मजाल न थी कि वह उनके पास फटक भी सके ।
शैतान लईन के दिल में हसद का शोला भड़का। उसने हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam से अदावत की ठान ली। ख़ुदा की जानीब से उसको हिदायत हुई:
“ऐ मरदूद, अय्यूब मेरा नेक और शुक्रगुज़ार बंदा है। उस पर तेरा हरबा कारगर नहीं होगा। वह तेरे बहकावे में नहीं आयेगा ।'
शैतान ने कहा, "खुदावंद, तूने उसको दौलत और ख़ुशहाली दी है । औलाद से उसकी आंखें रौशन हैं। फिर वह तेरा शुक्र क्यों न अदा करेगा । हम तो जब जानें कि तू यह नेमतें उससे ले ले। फिर भी वह तुझे याद करे। अगर ये नेमतें उससे छिन गयीं तो वह तुझे भूल जायेगा और तेरी बंदगी से दूर जा पड़ेगा।"
ख़ुदा ने फ़रमाया, "ऐ इब्लीस, मेरे मुब्लिस बंदे के बारे में तेरा यह गुमान ग़लत है। ऐसा नहीं होगा कि मेरा शुक्रगुज़ार बन्दा तेरा शाकिर हो जाए।
शैतान ने कहा, "अगर तू मुझे अय्यूब के माल और औलाद पर इख़्तियार दे दे तब मालूम हो कि वह कैसी बंदगी करता है और उसकी शुक्रगुज़ारी की हक़ीक़त क्या है।"
जनाबे-बेनियाज़ ने फ़रमाया, "जा, अय्यूब के माल-औलाद पर मैंने तुझको इख़्तियार दिया है।'
इब्लीस बहुत ख़ुश हुआ और उसने अपने लोगों को जमा किया और उन्हें इस काम पर लगाया कि वह उनके माल और जानवरों को तबाह कर दें और आख़िर शैतान ग्वाले की शक्ल में हज़रत अय्यूब के पास आया और
कहा, “तुम्हारे सारे जानवर और मवेशी तबाह हो गए।
Read More:- हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम पार्ट 1
हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam ने यह सुनकर फ़रमाया, उस ख़ुदा का शुक्र है जिसने यह सब कुछ मुझको अपने फ़ज़्ल से दिया था और अपने अद्ल से ले लिया ।
शैतान बहुत मायूस हुआ और अपने लोगों से कहा कि अय्यूब की खेती और खलिहान में आग लगा दो और ख़ुद हज़रत अय्यूब के आकर बोला, "तुम तो नमाज़ में लगे हो और तुम्हारी खेतियां और खलिहान जलकर ख़ाक हो गयीं। दरख़्त और बाग़ सूख गए।"
हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam ने फिर वही जवाब दिया, “ख़ुदा का शुक्र है कि उसने यह सब हमें अपने फ़ज़्ल से अता किया था और अपने अदल से वापस ले लिया।" और बग़ैर किसी परेशानी के निहायत दिल के साथ नमाज़ में लगे रहे ।
शैतान बहुत ग़मगीन हुआ और इसी तरह एक-एक चीज़ के बर्बाद होने की ख़बर देता रहा और हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम Hazrat Ayub Alaihis Salam ख़ुदा का शुक्र अदा करते रहे। आख़िर में उसने आकर ख़बर दी, “ऐ अय्यूब घर के गिरने से तुम्हारे बच्चे दब गए।"
हज़रत अय्यूब ने तवक्कुल व सब्र की रस्सी हाथ से न जाने दी और आपके मिजाज़ में कोई फ़र्क़ न आया।
फिर शैतान ने ख़ुदा से कहा, "इलाही, अय्यूब जानता है कि तू उसके सब्र के बदले में उसे दोगुना माल और औलाद देगा। इसी लिए वह बेचैन नहीं होता। अगर तू मुझे उसके जिस्म पर इख़्तियार दे तब उसकी बंदगी और शुक्रगुज़ारी का हाल मालूम हो।"
Read More:- हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का पूरा वाक्या
ख़ुदा ने फ़रमाया, "जा मैंने तुझको उसके बदन पर सिवाय ज़बान, दिल और कानों के ख़्तियार दे दिया।'
हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub के जिस्म मुबारक में ख़ारिश पैदा हुई और ऐसा रोग लगा कि जिस्म की खाल और गोश्त तक फटने लगा, बदन में कीड़े पड़ गए, जिससे बदबू आने लगी। घरवालों ने बस्ती से बाहर एक झोंपड़ी बना दी जिसमें हज़रत अय्यूब रहने लगे। आपके साथ कोई तीमारदार और ख़बर लेनेवाला न रहा। कोई आपके क़रीब न आता।
एक आपकी बीवी रहमत थी जो आपकी ख़िदमत में लगी रहतीं और जो कुछ उनके पास था, सब आपके इलाज में लगा दिया। जब कुछ भी पास न रहा तब बीवी साहिबा मज़दूरी करतीं और आधी मज़दूरी तंदुरुस्ती के लिए सदक़ा करतीं और आधी मज़दूरी का खाना ख़रीद कर उनके पास ले जातीं ।
जब हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub की बीवी मज़दूरी के लिए जाती थीं तो शैतान सरे-राह खड़ा होकर उन्हें मना करता कि “आप ऐसी हसीन - जमील ख़ातून किस लिए मज़दूरी करती हैं और अपनी जवानी ऐसे शख़्स की ख़िदमत में क्यों बरबाद करती हैं जिस पर ख़ुदा का क़हर उतरा है। यहां एक मिस्र का सरदार निहायत मालदार और इख़्तियार वाला है। मैं आपका निकाह उससे करा दूंगा और इस तरह आपका दरजा बढ़ेगा और आपकी इज़्ज़त बढ़ेगी।”
हज़रत रहमत उसकी बातों पर कुछ भी ध्यान न देतीं और रात में अपने शौहर से तमाम बातें बयान करतीं।
हज़रत अय्यूब फ़रमाते थे, "तू हरगिज़ उसकी बातों पर न जा। वह इब्लीस है और बे-बुनियाद बातें करता है। उसकी बातें सरासर धोखा और फ़रेब हैं ।"
एक दिन शैतान ने तबीब के भेस में आकर बीवी रहमत से कहा, “इस रोग का इलाज तो बस सुअर का गोश्त और अंगूर की शराब है। इसके सिवा किसी चीज़ से भी तुम्हारा शौहर तंदुरुस्त न हो सकेगा बीवी साहिबा तंदुरुस्ती के लालच में मज़दूरी करके दोनों चीजें लेकर हज़रत अय्यूब के पास हाज़िर हुईं और कहा, “यह दवा एक तबीब ने बताई है ।"
हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam को गुस्सा आया और फ़रमाया, "क्या मैंने तुझसे कहा नहीं था कि वह शैतान है। क्या तुझे ख़बर नहीं कि पैग़म्बरों पर ये चीज़ें हराम हैं। अगर मैं अच्छा हो जाऊंगा तो इसके बदले में मैं तुम्हें सौ लकड़ियां मारूँगा।"
Read More :- हज़रत लुत अलैहिस्सलाम की कोम पर अजाब क्यों आया
बीवी साहिबा इसके बावजूद ख़िदमत करती रहीं और ख़िदमत में कोई कोताही न होने दी। वह दिन-रात ख़िदमत में हाज़िर रहतीं। हज़रत अय्यूब भी इस मुसीबत और तक्लीफ़ में सब्र करते रहे और एक लम्हा भी अल्लाह की इबादत और उसकी याद से ग़ाफ़िल न हुए। यहां तक कि आसमान के फ़रिश्ते और ज़मीन के रहने वाले इस हाल से हैरान थे। इब्लीस की कोई चाल कामियाब न हुई। हज़रत अय्यूब की बंदगी इताअत और अक़ीदे में कोई फ़र्क़ न आया।
शैतान का सारा हरबा और उसकी सारी चाल नाकाम हो गई। हज़रत अय्यूब ने अपने रब को पुकारा, "खुदाया! मुझको बीमारी लग गई है और तू सबसे बढ़कर रहम करने वाला है।” ख़ुदा ने उनकी पुकार सुन ली।
मुसीबत का ज़माना गुज़रा और हज़रत अय्यूब की आज़माइश पूरी हुई और वे इस आज़माइश में पूरे उतरे तो हज़रत जिब्रील अमीन उनकी झोंपड़ी में आए और ख़ुदा की तरफ़ से उन्हें तंदुरुस्ती की ख़ुशख़बरी सुनाई। फिर उनका हाथ पकड़कर उस जगह से उठाया और फ़रमाया अपना दाहिना पांव ज़मीन में मारो।”
पावं मारते ही एक गर्म चश्मा पैदा हुआ। फिर आपने उसमें गुस्ल किया और तमाम मर्ज़ बदन से दूर हो गया। फिर जिब्रील के कहने से बायां पैर ज़मीन पर मारा और एक सर्द चश्मा फूट निकला। उसमें से आपने पानी पिया जिसकी बरकत से तमाम अंदरूनी तक्लीफ़ और ख़राबी दूर हो गयी। हज़रत जिब्रील हज़रत अय्यूब के पास बेठे ही थे कि बीवी साहिबा मज़दूरी करके आयीं और दो तंदुरुस्त आदमियों को देखकर हैरत से कहा, "यहां मेरा एक बीमार शौहर था वह कहां गया ?"
हज़रत जिब्रील ने कहा कि अगर तू उसे देखेगी तो पहचानेगी? हज़रत अय्यूब Hazrat Ayub Alaihis Salam हंस पड़े, बीवी साहिबा ने उन्हें पहचान कर ख़ुदा का शुक्र अदा किया। फिर हज़रत जिब्रील के सीख से से हज़रत अय्यूब ने खजूर की सौ हरी शाख़ों को एक साथ लेकर बीवी को उससे मारा, इस तरह उनकी क़सम भी पूरी हो गयी और बीवी को कोई चोट भी न आई।
ख़ुदा ने उनकी तक्लीफ़ भी दूर कर दी और उन्हें उनके बाल-बच्चे भी दिए और उन्हें अपनी रहमत से पहले से ज़्यादा अता किए। तंदुरुस्ती मिलने के बाद हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम रूम वालों की तरफ़ गए ताकि वह उन्हें ख़ुदा की दावत दें और उन्हें सच्चे दीन की तरफ़ बुलाये। इसी मुल्क में हज़रत अय्यूब का इन्तिक़ाल भी हुआ।
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन ।
"बेशक हम अल्लाह ही के हैं और बेशक हमें उसी की तरफ़ पलटकर जाना है।'
Read More:-